साधकों के लिए संस्कारित सत्तू बनायें इस विधि के अनुसार बनायें
साधकों के लिए संस्कारित सत्तू की सामग्री :-
- सोयाबीन + चना + जौं या गेंहूँ – 1 कि. ग्राम ( गर्मी व वर्षा के मौसम में) (1:1:2: के अनुपात में) अथवा सोयाबीन + बाजरा + मक्का (सर्दी के मोसम में)
- गौमूत्र (देशी) – 1.5 लीटर
- शुद्ध पानी / गंगाजल – 2 लीटर
साधकों के लिए संस्कारित सत्तू बनाने की विधि :-
- उपरोक्त धान्य मिश्रण को अच्छी तरह साफ करके गौमूत्र में डालकर 6 – 7 घंड के लिए छोड़ दे ताकि धान्य का गौमूत्र से शोधन हो जाएँ |
- धान्य मिश्रण और गोमूत्र से निकालकर एक बार साफ पानी या गंगाजल में (यदि उपलब्ध हो) धो लें, ताकि बाहरी सतह का गौमूत्र धुल जाय |
- भीगे हुए धान्य कढ़ाई में हल्की आँच में कुछ देर गरम करें तथा चलाते रहें ताकि बाहर का गीलापन सुख जाय और कुछ पक जाय | आग बंद करने के बाद गरम को ही ढककर रख दें ताकि भाप से थोड़ा और पक जाय |ध्यान देने की बात यह है कि धान्य को भूलना नहीं हैं, बल्कि कुछ पकाना है, ताकि पोषक तत्व नष्ट न हों |
- अब इसे 2 दिन तक धूप में अच्छी तरह सिखाएँ |
- अच्छी तरह सुख जाने पर पिसवा लें | बिना छाने आवश्कतानुसार 1/2, 1 किलो के वजन में पैक करें |
नोट :–
- सत्तू का सेवन पानी में घोलकर, नमक अथवा चीनी के साथ अथवा ऐसे ही किया जा सकता है |
- कई धान्यों का मिश्रण होने से पोषक तत्वों की दृष्टि से यह संतुलित आहार है साथ ही गौमूत्र से संस्कारित है | अतः साधकों के लिए बहुत लाभकरी है | अनुष्ठानकाल, चंद्रायन व्रत में इसका उपयोग विशेष रूप से किया जाता है |