भारत सरकार का कहना है विदेशी कंपनी आयेगी तो हाई टेकनोलोजी देश में आयेगी इससे देश की तरक्की होगी विकास होगा इसीलिए विदेशी कंपनियो को भारत में बुलाया जाता है |
लेकिन भारत सरकार के दस्ताबेजो के अनुसार 90 प्रतिशत जे ज्यादा विदेशी कंपनिया कोई तकनीक लाती ही नही वे शुन्य तकनिकी ZERO technology ) के क्षेत्र में व्यापार शुरू करते है और उद्योग लगाते है | शुन्य तकनिकी का क्षेत्र माने साबुन, क्रीम, पावडर, लिपस्टिक, नेल पोलिश, शम्पू , बिस्किट, चोकलेट, टॉफी, पावरोटी, चिप्स, टमाटर की चटनी, आम का आचार, नमक को डब्बे में भर के बेचने की कला, गेरू का आटा, पानी बोतल में भरके बेचने की कला ,अंडर वियर ,बनियान ,इत्यादि |
मात्र 10 प्रतिशंत विदेशी कंपनिया भारतीय कंपनियों से कुछ समझोते करके थोडा बहुत टेकनोलोजी के सामान बनाती है जैसे कार, मोटर साइकल, बस इत्यादि |
जैसे maruti suzuki ( मारुति भारत की suzuki जापान की )
Hero Honda (Hero भारत की honda जापान की )
Ashok leyland ( ashok भारत की leyland इंग्लैंड की)
Bajaj kawasaki ( bajaj भारत जी kawasaki विदेशी )
तो कुल मिलकर 10 % विदेशी कंपनियाँ technology वाले समान बेचती है बाकी सब zero technology मे ही घुसती है और यहाँ एक बात ध्यान रखिए ये 10 % भी विदेशी कंपनियाँ है कोई technology नहीं देती बल्कि technology से बना product बेचती है !
जैसे कारो ,और मोटर साइकलों के इंजन अपने देश से बनाकर लाते है यहाँ आकार फिट कर देते है जब इनको कहा जाता है की इंजन यही बनाओ तो माना कर देते !
तो मित्रो technology देना और technology से बना product बेचने मे जमीन आसमान का अंतर होता है ! कुछ लोग कुतर्क करते है की mobile ,computer ,car ,bike की technology विदेशो से आई है यहाँ आप ध्यान रखे technology नहीं आई technology से बना product आया है ! technology तो तब आएगी ना जब वो हमे ये सब बनाना सिखाएँगे ? लेकिन उनको तो सीखना नहीं , क्योंकि कोई भी देश आपको अपनी latest technology क्यों देगा ?? आप गंभीरता से सोचिए !!
उच्च टेक्नोलोजी कोई विदेशी कंपनिया कभी नही लाती जैसे सटेलाइट, मिसाइल , परमाणु बोम्ब, परमाणु पनडुब्बी, टंक , जलपोत , तोप, राइफेल, सुपर कंप्यूटर इत्यादी सब भारत में स्वदेशी के रास्ते ही विकसित हुई है |
विदेशी कंपनिया कभी भी लेटेस्ट टेक्नोलोजी हमको नही देती वो हमको उनकी 20 साल पुराणी टेक्नोलोजी देती है जो उनके देश में बेकार हो जुके है, जिनका वो इस्तेमाल नही करते है , जो उनके लिए डम्प करने लायक है |
ये विडियो एक बार पूरा जरूर देखे आपको पता चलेगा की भारत के DRDO और INS
और अन्य वैज्ञानिको ने दिन रात मेहनत कर भारत को क्या क्या बनाकर दिया है
भारत ने अपना सुपर कम्पुटर खुद बनाया है ,
भारत ने अपने सैटेलाईट खुद बनाये है !
भारत ने अपने परमाणु बंब खुद बनाये है
भारत ने अग्नि 1,2,3,4,5 मिसाइले खुद बनाई है !
भारत चंद्र और मंगल पर छोड़ने वाले यान खुद बनाए है !
और तो और सेटेलाईट बनाने और अन्तरिक्ष मे छोड़ने के मामले मे भारत इतना
आगे निकल चुका है 19 देशो के 40 से ज्यादा सेटेलाईट भारत आज अन्तरिक्ष मे छोड़ चुका है !
अभी कुछ दिन पहले आपने टीवी मे देखा होगा जब खुद प्रधानमंत्री मोदी श्रीहरिकोटा मे मौजूद थे
जहां PSLV नमक उपग्रह छोड़ा गया और वो हमारा उपग्रह 5 अन्य देशों के उपग्रहो को भी साथ लेकर उड़ा था !
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भारत के अन्तरिक्ष वैज्ञानिको (ISRO ) ने चन्द्र और मंगल पर भेजे मिशन
पर अमेरिका से कई गुना कम समय और खर्चे में कार्य पूरा किया !!
चाँद पर जाने का मिशन:
अमेरिका का Lunar Reconnaissance Orbiter
समय – 3 साल
खर्च – $583 मिलियन
(लगभग 3000 करोड़ रूपए, जब 1 डॉलर = 50 रूपए)
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भारत का चन्द्रयान
बनाने में लगा समय – 18 महीने
कुल खर्च – $59 मिलियन
(लगभग 300 करोड़ रूपए, जब 1 डॉलर = 50 रूपए)
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मंगल मिशन:
अमेरिका का MAVEN
समय लगा: 5 साल
कुल खर्च : $671 मिलियन
(लगभग 4000 करोड़ रूपए, जब 1 डॉलर = 60 रूपए)
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भारत का मंगलयान:
समय – 18 महीने
खर्चा – $69 मिलियन
(लगभग 400 करोड़ रूपए, जब 1 डॉलर = 60 रूपए)
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सरकार को भारतीय वैज्ञानिको पर भरोसा ही नहीं है जब देखो कटोरा उठा कर अमेरिका
के पास भाग जाते है हमे ये दे दो हमे वो देदो ! अभी अगर रक्षा क्षेत्र मे विदेशी घुस गए तो जो हम खुद बनाते है उसे भी बर्बाद कर देंगे ! दरअसल ये विदेशियों को समझ नहीं आता की भारत कैसे इतनी सस्ती रिसर्च कर लेता है और कैसे उनसे कम समय मे काम कर लेता है
यही सब जानने और बर्बाद करने के लिए वो आ रहे है !!
अब आप खुद सोचिए जो देश 5 हजार किलोमीटर तक मार करने वाली अग्नि मिसाइल बना सकता है ,परमाणु पन्नडुपी,बना सकता है ,अन्तरिक्ष मे उपग्रह छोड़ सकता है ,दूसरे देशो के भी उपग्रह साथ छोड़ सकता है क्या वो बंदूक,गोलियां और टैंक नहीं बना सकता ??
बिलकुल बना सकता है मित्रो लेकिन हर वस्तु के लिए पैसा लगता है मेहनत लगती है ! हमारे बजट का सारा पैसा तो व्यवस्था चलाने और पुराने कर्जे का ब्याज भरने पर के लिए ही खर्च हो जाता है
रक्षा बजट बहुत ही कम है ,चीन के रक्षा बजट की तुलना मे तो आधा भी नहीं है ! इस बार भी बजट मे मात्र 5000 करोड़ रुपए की वृद्धि हुई है !! 5000 करोड़ मे क्या होगा ? एक अग्नि 5 मिसाईल जो भारत ने बनाई है 2500 करोड़ की है एक ! 5000 करोड़ से तो मात्र 2 मिसाईल ही और बन पाएँगी !
वो भी एक साल मे !
तो मित्रो मूल बात ये है इन सब उच्च तकनीकी के क्षेत्र मे मे कोई विदेशी भारत को तकनीकी देने नहीं आया और आएगा भी नहीं ! तकनीकी खुद विकसित करनी पड़ती है कोई आपको अपनी latest technology नहीं देगा !!
इसके अतिरिक्त और भारत ने क्या क्या बनाया है विडियो मे जरूर देखे
अधिक से अधिक share करें !!देखिये भारत की तकनीकी !
link
https://www.youtube.com/watch?v=9dXNUXMo0yo
राजीव भाई को नमन ।