कैंडी बनाना सीखें

कैंडी बनाने की विधि से कैंडी बनाना सीखें

यह पेठा, आँवला, अदरख, करौंदा तथा पपीता की बनाई जाती है |

  • पेठा की कैंडी पेठा की कैंडी एक अत्यंत प्रचलित पदार्थ है | आगरा का पेठा बहुत मशहूर है | पेठा की कैंडी बनाने की विधि इस प्रकार है –
  • पूर्व विकसित तथा कड़े गुदे वाला पेठा छाँट लीजिए |
  • इसे धोकर 4 – 5 टुकड़े में काटकर छील लीजिए | यह ध्यान रहे कि हरा भाग बिलकुल निकल जाय | बीज तथा भीतर का मुलायम भाग भी निकाल लीजिए |
  • फलों को बाँस की तीली या स्टील के काँटे से गोद लें तथा इच्छानुसार इसे छोटे – छोटे टुकड़ों में काट लें |
  • टुकड़ों का दो प्रतिशत चुने के पानी (निथारा हुआ) में 12 से 14 घंटे तक पड़ा रहने दें | इस उपचार से टुकड़े कड़े हो जाते हैं |
  • टुकड़ों को चुने के घोल से निकालकर अच्छी तरह धो लें |
  • टुकड़ों को 2 प्रतिशत फिटकरी के घोल में 15 – 20 मिनट तक उबाल लीजिए | इस पानी में 5 प्रतिशत सोडियम सल्फाइट भी मिला देनी चाहिए | इस उपचार से टुकड़ों का रंग सफेद बना रहेगा |
  • उबलने के तुरंत बाद टुकड़ों को चीनी की तहों के बीच रखकर 24 घंटे के लिए छोड़ दें | प्रति किलो ग्राम टुकड़ों में 5 किलोग्राम चीनी मिलाई जाती है |
  • दुसरे दिन अधिकांश चीनी पिघल जाएगी | अब टुकड़ों को चासनी से बाहर निकालकर चासनी को एक उबाल आने तक पका दीजिए | प्रतिकिलो ग्राम मिलाई गई चीनी में एक ग्राम साइट्रिक एसिड मिला दीजिए तथा चासनी को मलमल के कपड़े से छानकर टुकड़ों को गरम चासनी में डालकर रख दीजिए |
  • तीसरे दिन फिर टुकड़ों को चासनी से निकालकर चासनी को इतना पका लीजिए कि इसमें चीनी की मात्रा 75 – 80 प्रतिशत हो जाय | ऐसी अवस्था में टुकड़ों को गरम चासनी में डालकर एक सप्ताह के लिए छोड़ दीजिए |
  • यदि चासनी में चीनी की मात्रा 75 प्रतिशत से कम मालूम पड़े तो इसे फिर पकाकर गाढ़ा कर लीजिए |
  • अब 10 – 12 दिन बाद चासनी को लगभग 5 मिनट तक गरम करके टुकड़ों को चासनी से निकालकर तार की जाली में रखकर निथरने दीजिए | अच्छी तरह निथर जाने पर इन्हें फैलाकर कमरे के तापमान पर छाया में सूखने दें | इस तरह पेठा की कैंडी तैयार होगी |
  • आँवले की कैंडी आँवले की कैंडी बनाने के लिए इसे तर मुरब्बा की तरह बना लेना चाहिए | लेकिन चासनी को पकाकर इतना गाढ़ा कर लेते हैं कि इसमें चीनी की मात्रा 75 प्रतिशत से कम न रहे | फिर 10 – 15 दिन तक फलों को चासनी में छोड़कर पीछे बताई गई विधि से निथारकर तथा छाया में सुखाकर कैंडी तैयार कर ली जाती है |
  • पपीते की कैंडी इसे पपीते के तर मुरब्बे की तरह बनाकर चासनी को गाढ़ा कर लेते हैं | फिर सामान्य विधि से टुकड़ों को निथारकर तथा छाया में सुखाकर कैंडी तैयार कर लेते हैं | पपीते की कैंडी को छोटे – छोटे टुकड़ों में काटकर इन्हें डबलरोटी तथा केक में डाला जाता है | इन्हें “केक फ्रूट” बनाना हो तो चासनी में थोड़ा सा लाल खाध रंग मिला देना चाहिए |
  • बाँस की कैंडी बाँस के मुलायम डंठल छाँट लीजिए | चाकू से डंठल के बाहर चिपकी हुई पतियाँ निकाल लें | मुलायम डंठल को वांछित आकार के टुकड़ों में काट लें | इनका कडुवापन दूर करने के लिए टुकड़ों को 2 – 3 बार पानी बदलकर उबाल लीजिए तथा काँटों से गोद लीजिए | अब 700 मिली लीटर पानी में 300 ग्राम चीनी मिलाकर 30 डिग्री ब्रिक्स की चासनी बना लीजिए | एक ग्राम टुकड़ों के लिए 75 किलो ग्राम चीनी की आवश्यकता पड़ती है | इसके बाद बाँस के टुकड़ों को चासनी में कुछ देर तक आवश्यकता पड़ती है | इसके बाद बाँस के टुकड़ों को चासनी में कुछ देर तक उबाल लीजिए तथा भगोने को आग से उतारकर 24 घंटे के लिए स्थिर रख दीजिए | परासरण की क्रिया से चासनी में चीनी की मात्रा 30 प्रतिशत से कम हो जाएगी | दुसरे दिन टुकड़ों को चासनी से निकालकर चासनी में 10 प्रतिशत चीनी मिलाकर उबाल दीजिए तथा उबलता हुआ घोल पुनः बाँस के टुकड़ों के ऊपर डाल दीजिए | यह क्रिया तब तक रोज दोहराते रहिए जब तक की चासनी की मात्रा 60 प्रतिशत न हो जाय | चासनी को उबालकर प्रतिदिन 5 डिग्री ब्रिक्स सान्द्रता बढ़ाइए | यह क्रिया तब तक जानी रखें जब तक कि चासनी में चीनी की मात्रा 75 ब्रिक्स न हो जाय | एक दो सप्ताह बाद टुकड़ों को चासनी में लगभग 5 मिनट पका लीजिए तथा फिर इन्हें बाहर निकालकर छलनी से निथार लीजिए | फिर इन्हें ट्रे अथवा थाली में रखकर छाया में सूखा लीजिए | इन्हें बोयाम में रखकर सिल – बंद कर दीजिए और सूखे ठण्डे भण्डार में रखें |

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