मिर्गी निवारक–गोमय नस्य की विधि के बारे में जाने
मिर्गी निवारक–गोमय नस्य की सामग्री :-
- देशी गाय के नवजात बच्चे का प्रथम मल (सुखा पाउडर) – भाग वजन में (40 प्रतिशत)
- मदार (आंखे) का लाजार दूध – 1 भाग वजन में (40 प्रतिशत)
- काली मिर्च (पाउडर) – .5 भाग वजन में (20 प्रतिशत)
मिर्गी निवारक–गोमय नस्य की सामग्री की तैयारी एवं बनाने की विधि :-
* गाय के ब्याने पर उस के बच्चे की पहली टट्टी को लेकर उसे हल्की धूप अथवा छांया में सुखा लें Iइसे सुखाने में यह ध्यान रखें कि कड़ी धूप से बचाएँ, कुते – बिल्ली से इस की सुरक्षा करें – वे इसे खा सकते हैं तथा वर्षा के मौसम में फंफूदी लगने से बचाएँ I
* सुखाने के बाद टट्टी को तोल लें तथा खरल में अच्छी तरह खरल कर बारीक पाउडर बना लें I
* टट्टी के बराबर वजन में आंखे का ताजा दूध लेकर इसे बूंद – बूंद कर पाउडर में मिलाते हुए खरल करें I दूध सूखता जाएगा I एक साथ दूध डालने पर गीला हो जाएगा I
जब सम्पूर्ण दूध मिल जाए तब देखें – यह गीला रहता है तो छांया में सुरक्षित स्थान पर सुखाने के लिए रात भर छोड़ दें I
* अगले दिन उसे पुनः खरल करें I अब इस में टट्टी के वजह का आधी मात्रा में काली मिर्च का पाउडर कर उसे खरल कर बहुत महीन चूर्ण बना लें I इसे जितना अधिक से अधिक खरल कर महीन बनाय जाए अच्छा है I
* पाउडर को किसी मोटे कपड़े से छान कर बचे हुए को पुनः खरल करें I छानने के बाद पाउडर को किसी साफ शीशी में कार्क लगा कर सुरक्षित करें I नमी से बचाएँ I
मिर्गी निवारक–गोमय नस्य की उपयोग विधि :-
यह मिर्गी की अनुभव की गई अचूक दवा है परन्तु ध्यान रखने की बात यह है कि इसे केवल दौरे के समय ही इस्तेमाल किया जाता है I
जिस समय मरीज को मिर्गी का दौरा पड़े उस समय कागज एक बड़ा टुकड़ा लेकर उसे लम्बाई में घुमावदार मोड़कर कीप (फनल) नुमा आकार दे लें जिसमें ऊपर का भाग चौड़ा और निचे का भाग पतला – नुकीला हो I इसे कीप के पहले नुकीले भाग में उपरोक्त दवा एक चुटकी रखकर इसे नाक के छेड़ के साथ सटा कर ऊपर से (चौड़ो मुह की ओर से) तेजी से फूंक मारें ताकि फूंक के प्रेसर से दवा नाक में चली जाए I
सामान्यतः लगभग 5 मिनट में रोगी होश में आ जाता है I लोगों के अनुभवों में यह पाया गया है कि दोवारा दौरा नहीं पड़ता है I यदि दोवारा कभी दौरा पड़ने की स्थिति आती है तो उपरोक्तानुसार पुनः उपचार करें I