जैली बनाने की प्रक्रिया

अब आप जैली बनाने की प्रक्रिया के बारे में जाने
जैली बनाने के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाई जाती है
  • फलों का चुनाव जैली बनाने के लिए ऐसे फल लेने चाहिए जो पकने की अवस्था में हो I यदि किसी कम पेक्टिन वाले फल से जैली बनानी हो तो उसके साथ कुछ मात्रा में अधिक पेक्टिन वाला फल भी मिला देना चाहिए या व्यवसायिक पेक्टिन चूर्ण मिलाकर जैली बनाई जा सकती है I जैली बनाने के लिए ताजे फलों का प्रयोग करना चाहिए I फलों को तोड़कर लम्बे समय पर के लिए रख दिया जाय तो इसमें पेक्टिन का ह्रास होने लगता है I ऐसे फल जिनमें पेक्टिन पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है वे हैं – अमरुद, सेब, करौंदा, आम, पटुवा, कैथा, खट्टे प्लम, खट्टे अंगूर, निम्बू, संतरा, गलगल, आदि I
  • फलों से पेक्टिन निकालना फल से पेक्टिन प्राप्त करने, अधिकतम रस प्राप्त करने और फल में खुशबु पैदा करने वाले पदार्थों की उपलब्धि के लिए, इन्हें उबला या पकाया जाता है I पेक्टिन प्राप्त करने के लिए फलों में पानी भी मिलाया जाता है I पानी की मात्रा फल के रसीलेपन पर निर्भर करती है I अधिक रसदार फलों में पानी मिलाने की जरुरत नहीं होती है I केवल उन्हें कुचल करके और 5 – 10 मिनट तक उबालकर रस निचोड़ लिया जाता है I कड़े फल जैसे – सेव, अमरुद, कटहल, नारंगी इत्यादि में पानी मिलाने की जरुरत होती है I सेव में आधे से पूरे फल के वजह के बराबर पानी, अमरुद, नारंगी व निम्बू में फल के वजह का डेढ़ से 2 गुना पानी मिलाया जाता है अमरुद तथा सेव में सामान्यतः प्रति किलो फल में एक से सवा किलो तक पानी मिलाकर 30 – 40 मिनट तक धीमी आँच पर पकाना चाहिए I पकाने का कार्य घरेलू स्तर पर धुंआ रहित भट्टी या स्टोव में अल्युमिनियम के भगोने में करना चाहिए I पानी मिलाने से पहले ही इन्हें बिना छिले ही छोटे – छोटे टुकड़ों में करना चाहिए I पानी मिलाने से पहले ही इन्हें बिना छिले ही छोटे – छोटे टुकड़ों में काट लेना चाहिए I निम्बू वर्गीय का बाहरी पिला भाग चाकू से छील देना चाहिए I तत्पश्चात फलों के छोटे – छोटे टुकड़ों में काटकर व दो गुना पानी मिलाकर 40 – 50 मिनट तक पकाना चाहिए पकाने से फल में उपस्थित पेक्टिन घुलकर पानी में आ जाती है I इसे बारीक मलमल के कपड़े में छान लेना चाहिए ताकि रस स्वयं ही टपककर निकल जाय I पेक्टिन निचोड़ में गुदा नहीं आनी चाहिए I

उबालने का समय फल की किस्म और गठक पर निर्भर करता है I फल को इतना उबालना चाहिए कि वह नम होकर, पेक्टिनयुक्त रस का पूर्ण निष्कर्षण होने दें I सामान्यतः सेब को 20 से 30 मिनट, अमरुद को 30 से 40 मिनट मिनट, नारंगी को 30 से 60 मिनट, सरस फलों को 5 से 10 मिनट तक उबाला जाता है I अधिक उबालने से रस धुंधला हो जाता है I

  • रस में पेक्टिन की जाँच करना रस में कितनी पेक्टिन है, इसकी जाँच करना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि पेक्टिन की मात्रा के अनुसार ही इसमें चीनी मिलाई जाती है I रस में पेक्टिन की जाँच करने की दो विधियाँ हैं –
  • अल्कोहल या स्प्रिट द्वारा
  • जैली मीटर द्वारा
  • स्प्रिट द्वारा

एक काँच के गिलास में ठण्डा किया हुआ एक चम्मच रस डालिए I इसमें दो चम्मच स्प्रिट डालने से रस में उपस्थित पेक्टिन जम जाएगी I लगभग एक मिनट बाद उसे सावधानी से एक प्लेट में गिरना चाहिए I यदि यह एक ठोस थक्के के रूप में गिरे तो समझना चाहिए कि इसमें पेक्टिन ठीक मात्रा में है I यानि रस में उतम श्रेणी का पेक्टिन हैं I यदि गिरते समय थक्के के रूप में गिरकर दो – तीन टुकड़ों में हो जाय तो रस में मध्यम श्रेणी की पेक्टिन समझानी चाहिए I यदि इसमें कई छोटे – छोटे टुकड़े बन जाय तो यह निम्न श्रेणी के पेक्टिन की सूचक है I

  • जेली मीटर द्व द्वारा
  • चीनी मिलाना व पकाना रस में चीनी पेक्टिन की जाँच के अनुसार मिलाई जाती है I उतम श्रेणी की पेक्टिन के लिए प्रति लीटर रस में एक किलो ग्राम चीनी मिलाई जाती है I मध्यम श्रेणी वाले रस में प्रति लीटर 750 ग्राम चीनी मिलाई जाती है I चीनी मिलाने के बाद रस को पकाने रख देना चाहिए I पकाना एक महत्वपूर्ण कदम है I इससे शर्करा घुल जाती है तथा शर्करा, पेक्टिन और अम्ल अच्छी तरह मिल जाते हैं, जिससे जैली जम जाती है I इसका मुख्य कारण शर्करा सांद्रण को इतना बढ़ाना है कि जैली जम जाय I जैली पकाने का कार्य कम से कम समय में पूरा होना चाहिए I अधिक पकाने से सुगंध की कमी, बदरंग और पेक्टिन का जल – अपघटन हो जाता है, जिससे जेली जम नहीं पाती है I जब चीनी घुल जाय तो उसे मलमल के कपड़े से छान लेना चाहिए ताकि चीनी की गंदगी दूर हो जाय I अब इसे तेज आग पर पकाना चाहिए ताकि लगभग 30 मिनट में जैली पककर तैयार हो जाय I प्रायः समापन बिन्दु पर पहुँचने से पहले जेली में अम्ल मिलाया जाता है, पाहिले नहीं I इससे उत्पाद का रंग हल्का रहता है तथा पेक्टिन का जलापघटन भी कम हो जाता है I पकाते समय उफान को रोकने के लिए थोड़ा सा खाने लायक परन्तु गंधरहित तेल इस्तेमाल किया जा सकता है I
  • खट्टास मिलाना खट्टास की एक निश्चित मात्रा से ही जैली जमती है I कुछ फलों में यह पर्याप्त मात्रा में बिधमान रहती है लेकिन कुछ में इसकी मात्रा कम रहती है I इसलिए जिन फलों में खट्टास कम होती है उनमें प्रति किलो ग्राम चीनी में 5 – 7 ग्राम खट्टास मिलानी चाहिए ताकि जैली तैयार हो जाने पर उसमें खट्टास की मात्रा 75 प्रतिशत बनी रहे I खट्टास अम्ल के रूप में मिलाई जाती है I खट्टास जैली तैयार होने के लगभग 5 – 6 मिनट पहले मिलानी चाहिए I
  • जैली तैयार होने की पहिचान (समापन बिन्दु) खट्टास मिलाने के लगभग 5 – 6 मिनट बाद जैली तैयार होने की पहिचान निम्रलिखित विधियों से की जाती है –
  • जैली थर्मामीटर से तापमान देखकर एक घोल जिसका घुलनशील ठोस 65 प्रतिशत हो, तो सामान्यतः 105० से० पर उबलता है I जेली को इस ताप पर पकाने से ही स्वतः इसके ठोस सांद्रण 65 प्रतिशत हो जाएगा I सामान्यतः पानी के क्वथनांक से इसके उबलने का तापमान 3 से 5० से० अधिक होना चाहिए I इसके लिए विशेष जेली तापमापी इस्तेमाल किया जाता है I
  • रिफ्रेक्टोमीटर द्वारा इस यंत्र द्वारा भी समापन बिन्दु मालूम किया जा सकता इस यंत्र में 0 32, 0 से 50 और 50 से 80 डिग्री ब्रिक्स के निशान लगे होते हैं I यह यंत्र कई प्रकार का हो सकता है, जैसे- जेब में रखने लायक, मेज पर रखने वाला आदि I जेली को प्रिज्म पर रखकर घुलनशील ठोस को डिग्री ब्रिक्स के रूप में देखा जाता है I सामान्यतः इसे 20 डिग्री से० पर अभिव्यक्त किया जाता है, जिससे तुलनात्मक अध्ययन में सुविधा हो I
  • भार परिक्षण यह एक तथ्य है कि जेली का भार, इस्तेमाल की गई चीनी के वजह का डेढ़ गुना होता है I इसलिए 1 किलो चीनी से बनायी गई जेली का भार डेढ़ किलो आने पर जेली का समापन बिन्दु समझना चाहिए
  • बुलबुलों द्वारा शुरू में जैली में छोटे – छोटे बुलबुले उठते हैं, लेकिन जब जैली तैयार होने को होती है तो इसका रंग भूरा होने लगता है और बड़े – बड़े बुलबुले उठने लगते हैं I जब ऐसी स्थिति आ जाय तो समझना चाहिए कि जैली तैयार हो गयी I
  • चादर परीक्षण पकती जैली में एक चम्मच डुबोकर, उसे बाहर निकालकर उसमें लगे पदार्थ को गिरने दीजिए I यदि एक तिकोनी चादर सी बनने लगे तो जैली तैयार समझना चाहिए I यह जैली की पहिचान का सबसे आसान तरीका है I
  • बोतलों में भरना जब जैली तैयार हो जाय तो भगोने की आग से उतारकर मैल की परत हटा देनी चाहिए I मैल की परत हटाने के लिए छेद वाली कलछी का प्रयोग करना चाहिए I जैली को गरम – गरम ही स्टरलाइज किया हुए चौड़े मुँह की बोतल में ऊपर तक भर दीजिए I ठण्डा होने पर जैली दही जैसी जम जाएगी तथा सिकुड़कर लगभग 1 सेंटीमीटर स्थान खली रह जाएगा I अब मोम पिघलाकर बोतल में डाल दीजिए I ऐसा करने से यह बोतल सील बन्द हो जाएगी I उसमे नमी नहीं प्रवेश कर पाएगी I

Check Also

हिंग्वाष्टक चूर्ण बनाने की प्रक्रिया

हिंग्वाष्टक चूर्ण बनाने की प्रक्रिया के बारे में जाने और अपने घरो में हिंग्वाष्टक चूर्ण …