लकड़ी के सामान के किए स्पिरिट वार्निश बनायें

आप इस दिय गय विधि को जाने और लकड़ी के सामान के किए स्पिरिट वार्निश बनायें

लकड़ी के सामान के किए स्पिरिट वार्निश बनाने की सामग्री :-

  1. मैथिलेटेड स्पिरिट –  250 ग्राम
  2. चमड़ा लाख –   200 ग्राम
  3. बुडनैप्था –   100 ग्राम
  4. लोबान –   50 ग्राम

लकड़ी के सामान के किए स्पिरिट वार्निश बनाने की विधि :-

     जितनी फिनायल बनानी हो उसकी कुल क्षमता से लगभग दुगुना या इससे भी बड़ा कड़ाह या ड्रम लें I बिरोजे के छोटे – छोटे टुकड़े करके इस बर्तन में डालें और भट्टी पर रखकर पिघला लें I जब सारा बिरोजा पिघल चुके तो सोडा कास्टिक लाई को थोड़ा – थोड़ा करके इसमें मिलाते जायें और हिलाते – चलाते जायें I जब पिघले हुए बिरोजे में लाई मिलाई जाती है तो एकदम उबाल (उफान) सा आता है और उसके बाहर निकलने का अन्देशा रहता है I अतः इस स्थिति से बचने के लिए लाई एक दम न डालकर थोड़ी – थोड़ी करके तीन – चार बार में डालनी चाहिए I जब सारी लाई मिलाई जा चुकेगी तो यह मिश्रण ‘बिरोजे से बने मुलायम साबुन’ के रूप में परिवर्तित हो जायगा और देखने में पेस्ट की तरह लगेगा I तब इसमें थोड़ा – थोड़ा करके इतना पानी मिलाएँ जिससे कि इस पतले मिश्रण का विशिष्ट गुरुत्व और इसमें मिलाये जाने वाले ‘क्रियाजूट आयल’ का विशिष्ट गुरु:त्व, हाईड्रोमीटर से देखने पर एक समान हो जाय I इसके पश्चात् इसमें ‘क्रियाजूट आयल’ थोड़ा – थोड़ा करके मिला लें और अंत में फार्मूले में बताया गया पानी मिलाकर पतला कर लें I अभी कुछ देर तक इसका बर्तन आँच पर ही रहने दें और इसमें पड़े मिश्रण को थोड़ी देर और पकने दें, ताकि इसमें पड़े समस्त रचक आपस में और अच्छी तरह घुल- मिल जाये I फिर इसमें से थोड़ा नमूना लेकर उसकी परीक्षा करके देखें कि फिनायल ठीक बन चुकी है या नहीं ? यह परीक्षा नीचे बताये गये तरीके से कर सकते हैं :-

‘फिनायल’ का जो नमूना आपने तैयार किया है उसकी कुछ बूंदें पानी में डालकर देखें I अगर ये बूंदें पानी में तुरन्त धुलकर दुधिया रंग का घोल बना दे और पानी के ऊपर तेल के तिरमिरे से तैरते दिखाई न पड़े तो इसका मतलब यह है कि फिनायल ठीक बनी है I अगर इस परिश्रम में यह ठीक न उतरे तो इसे कुछ देर और पकाकर पुनः यही परिक्षण करें, जब यह ठीक – ठीक पक चुके तो इसे आवश्यकतानुसार साइज के डिब्बों में पैक कर दें I

नोट :-

  1. फिनायल में साधारणतः 10 से लेकर 30 प्रतिशत तक के मात्रा में ‘क्रियाजूट आयल’ मिलाया जाता है I यदि इसकी कीटाणुनाशक शक्ति अधिक बढ़ानी हो तो इसमें उचित अनुपात में डी० डी०टी० पाउडर मिला सकते हैं I
  2. फिनायल बनाते समय बिरोजे तथा तेल के मिश्रण को साबुन के रूप में इसलिए परिवर्तित करते हैं ताकि इस साबुन के माध्यम से, क्रियाजूट आयल इसमें अच्छी तरह घुल- मिल सके और इसका इमल्शन – सा सरलतापूर्वक तैयार हो सके I इससे यह लाभ होता है कि क्रियाजूट आयल फिनायल में पूरी तरह घुला – मिला रहता है और जब इस फिनायल को उपयोग में लाया जाता है तो क्रियाजूट आयल अलग नहीं होता I फिनायल में मौजूद रहने वाले इस साबुन के कारण ही, जब इसे पानी में डाला जाता है तो घोल का रंग दुधिया हो जाता है I
  3. बिरोजे तथा तेल मिश्रण से तैयार होने वाले साबुन में पानी मिला कर उसे इतना पतला करते हैं जिससे कि साबुन के इस गाढ़े घोल तथा ‘क्रियाजूट आयल’ का विशिष्ट गुरुत्व एक समान हो जाय I यदि इन दोनों में से किसी एक का यह घनत्व कम तथा दुसरे का अधिक होगा तो इन दोनों के मिश्रण से तैयार होने वाली फिनायल में यह दोष रह जाएगा कि इन दानों में से जो हल्के वजन वाला होगा वह ऊपर आ जायेगा और जो भारी होगा वह नीचे बैठ जायेगा अर्थात ये दानों आप में पूरी तरह घुल – मिल जायेंगे और इसके परिणामस्वरूप फिनायल ठीक नहीं बन सकेगी I अतः इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए साबुन के घोल में घोल में पानी मिला कर इतना पतला कर लेना चाहिए जिससे इसका घनत्व, क्रियाजूट की तुलना में पतला घनत्व, क्रियाजूट आयल के बराबर कर लें और यदि साबुन का घोल आवश्यकता से अधिक गाढ़ा हो तो इसमें पानी मिलाकर पतला कर सकते हैं I
  4. बिरोजे तथा तेल के मिश्रण में सोडा कास्टिक की लाई केवल इतनी मात्रा में मिलानी चाहिए जिससे इस मिश्रण में मिले हुए वनस्पति तेल तथा बिरोजे का लगभग 90 प्रतिशत भाग ही साबुन के रूप में परिवर्तित हो और 10 प्रतिशत भाग ‘स्वतन्त्र तेल’ के रूप में बचा रहने दिया जाय I अगर यह सावधानी न रखी गई तो फिनायल ठीक नहीं बन सकेगी I

अच्छी क्वालिटी की फिनायल का घनत्व हाइड्रोमीटर से देखने पर लगभग 1.02 से लेकर 1.04 के बीच में रहता है I

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